देहरादून – तमाम जिदों जहद बहस के बाद उत्तराखंड विधानसभा में यूसीसी मसौदे को मंजूरी मिल गई। जिसके बाद राज्य में समान नागरिक संहिता कानून लागू हो गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के इस महत्वपूर्ण कदम को एक इतिहसिक कदम बताया जा रहा। जहां विपक्षी दल कांग्रेस इस बिल में बडी खामियां गिना रही है। वहीं भाजपा विधायकों ने लगें हाथों विधानसभा में मिष्ठान वितरण किया। वहीं अब आपको भी इस कानून को लेकर कुछ बातें परेशान कर रही होगी। तो चलिए हम आपको उन सवालों का जवाब देते हैं। मसलन समान नागरिक संहिता कानून की कुछ मोटी मोटी बातें समझने का प्रयास करते हैं।
चलिए यहां से शुरू करते हैं
कुछ इस तरह समझें- अगर आपका विवाह 26 मार्च 2010 के बाद हुआं है तो उसका रजिस्ट्रेशन कराना होगा। पहले से करा चुके हैं उन्हें दोबारा पंजीकरण की जरूरत नहीं होगी। विधानसभा में पेश गये समान नागरिक संहिता यूसीसी के बिल में यह प्रावधान है।
विशेष बात ये भी है कि कानून लागू होने के छह माह के अंदर पंजीकरण न कराने वालों पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगेगा। पंजीकरण में गलत तथ्य देने वालों पर 25 हजार का जुर्माना लगेगा। यूसीसी में स्पष्ट किया गया है कि विवाह करने वालो में से अगर स्त्री या पुरुष राज्य का निवासी होगा तो उसका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।
26 मार्च 2010 उत्तराखंड अनिवार्य विवाह पंजीकरण एक्ट तक के जो विवाह पंजीकृत नहीं है उन्हें यूसीसी लागूं होने के बाद छह माह के अंदर पंजीकरण कराना होगा।जो पहले पंजीकृत हैं उन्हें कानून लागू होने के छह माह के अंदर सब रजिस्ट्रार कार्यालय में घोषणा पेश करनी होगी।2010 के पहले के दंपति चाहें तो अपना पंजीकरण करा सकते हैं, लेकिन उनकी एक से अधिक जीवन साथी न हो। उम्र का मानक पूरा हो रहा हो।
ऐसे होगा रजिस्ट्रेशन
यूसीसी लागूं होने के बाद पति-पत्नी मिलकर एक फार्म भरेंगे। विवाह की तिथि से 60 दिन के अंदर सब रजिस्ट्रार के सामने प्रस्तुत करेंगे। शर्त है कि दोनों में से एक राज्य में निवास करता हो।इसी प्रकार 2010 के पहले के दंपति के लिए भी औपचारिकताएं होगी।सब रजिस्ट्रार, रजिस्ट्रार, रजिस्ट्रार जनरल नियुक्त करेगी सरकार।
यूसीसी के तहत राज्य सरकार सचिव स्तर के अधिकारी को रजिस्टर जरनल महानिबंधक नियुक्त करेगी। इसके लिए एस डी एम स्तर तक के अधिकारियों को रजिस्ट्रार और क्षेत्रों के लिए सब रजिस्ट्रार नियुक्त किए जाएंगे।
पुरुष की 21, स्त्री की आयु 18 वर्ष
यूसीसी में ये प्रावधान किया गया है कि विवाह तभी संभव है जब पुरुष की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और स्त्री की न्यूनतम आयु 18 वर्ष हो।10 से 25 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है।
कोई भी व्यक्ति जो विवाह होने के बाद जानबूझ कर पंजीकरण नहीं कराएगा या उपेक्षा करेगा उस पर सब रजिस्ट्रार दस हजार का जुर्माना लगा सकता है।जो व्यक्ति पंजीकरण में गलत सूचनाएं देगा या कूटरचित दस्तावेज लगाएगा उसे तीन महीने की जेल और 25 हजार रुपए जुर्माना या दोनों लग सकतें हैं। जो सब रजिस्ट्रार पंजीकरण प्रक्रिया विच्छेद पर 15 दिन के भीतर एक्शन नहीं लेगा उस पर भी 25 हजार रुपए तक का जुर्माना लग सकता है। धर्म का जिक्र नहीं रूढ़ि प्रथा ओर परंपरा से ऊपर समान नागरिक संहिता महिलाओं के अधिकारों पर विशेष फोकस दिया गया है।
सब रजिस्ट्रार खुद भी ले सकते हैं संज्ञान
अगर कोई विवाह होता है और उसका पंजीकरण नहीं होता है तो सब रजिस्ट्रार इसका ख़ुद भी संज्ञान ले सकेंगे। वह नोटिस भेजेगा जिस पर एक माह के भीतर ज्ञापन प्रस्तुत करना होगा। पंजीकरण न कराने पर कोई विवाह अविधिमान्य नहीं होगा।
संवाददाता-एम सलीम खान की रिपोर्ट