रुद्रपुर-रुद्रपुर ट्रेड यूनियन एक्टू से जुड़ी उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के बैनर तले आज आशा वर्कर्स ने प्रदर्शन कर मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। इस दौरान यूनियन की जिलाध्यक्ष ममता पानू ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत आशाएं विभाग के सभी अभियानों और सर्वे में लगा दी जाती हैं। गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशु की सेवा से शुरू करते हुए आज आशा वर्कर्स को सारे काम करने पड़ रहे हैं
लेकिन सरकार आशाओं को न्यूनतम वेतन तक देने को तैयार नहीं है। आशाओं को उनके काम के अनुरूप पैसा मिलना तो दूर मुख्यमंत्री द्वारा किए गए वायदे के अनुरूप भी पैसा नहीं मिल रहा है। आशाओं की लगातार ट्रेनिंग चलती रहती हैं लेकिन ट्रेनिंग में दिया जाने वाला पैसा इतना भी नहीं होता कि दूर दराज से आने वाली आशाएं अपना किराया भाड़ा भी दे सकें। आशाओं को मिलने वाला विभिन्न मदों का पैसा छह छह माह तक नहीं मिल रहा है, जिसके कारण आशाएं बहुत दिक्कतों का सामना कर रही हैं।
यूनियन की प्रदेश उपाध्यक्ष रीता कश्यप ने कहा कि आशाओं को नियमित वेतन तो सरकार दे नहीं रही है और ट्रेनिंग का पैसा भी कम करते जा रही है। पल्स पोलियो अभियान में भी प्रतिदिन सौ रुपए मात्र पर पूरा हफ्ता आशाओं को अभियान चलाना होता है।खटीमा ब्लॉक अध्यक्ष केशवी देवी ने कहा कि एक तो आशाओं न्यूनतम वेतन नहीं दिया जाता है और न ही कर्मचारी का दर्जा प्राप्त है फिर भी विभाग के हर काम के बोझ तले दबाया जा रहा है। यह आशा वर्कर्स का खुलेआम शोषण है।
जिला सचिव कुलविंदर कौर ने कहा कि 31 अगस्त 2021 को उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन (ऐक्टू) के आंदोलन के बाद खटीमा स्थित मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में आशाओं के प्रतिनिधिमंडल से मुख्यमंत्री ने वार्ता के बाद आशाओं को मासिक मानदेय नियत करने व डी.जी. हेल्थ उत्तराखंड के आशाओं को लेकर बनाये गये प्रस्ताव को लागू करने का वादा किया था। लेकिन मुख्यमंत्री द्वारा किए गए वादे को तीन साल पूरा होने को है लेकिन सरकार द्वारा यह वादा पूरा नहीं किया गया है। सरकार को अपने वायदे को आशाओं के हित में पूरा करना चाहिए।
जसपुर अध्यक्ष बबीता कश्यप ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की नियमित कर्मचारी न होते हुए भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी लगन और मेहनत के साथ बेहतर काम के बल पर आशायें स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ बन चुकी हैं इसलिए आज समय आ गया है कि आशाओं के शानदार योगदान के महत्व को समझते हुए उनको न्यूनतम वेतन देते हुए स्वास्थ्य विभाग का स्थायी कर्मचारी घोषित किया जाय और सेवानिवृत्त होने पर सभी आशाओं के लिए एकमुश्त धनराशि व आजीवन अनिवार्य पेंशन का प्रावधान किया जाय। आशाओं को ट्रेनिंग व पल्स पोलियो अभियान के दौरान प्रति दिन पांच सौ रुपए का भुगतान किया जाय।आशाओं को विभिन्न मदों के लिए दिए जाने वाले पैसे कई कई महीनों तक लटकाने के स्थान पर अनिवार्य रूप से हर महीने दिया जाय।यूनियन ने ज्ञापन में मांगों को जल्द पूरा न करने पर राज्यव्यापी आन्दोलन का ऐलान किया
इस दौरान यूनियन के प्रदेश कोषाध्यक्ष ललित मटियाली, सुधा शर्मा, विमलेश यादव, जानकी, गीता सैनी, रूपेंद्र कौर, निशा शर्मा, राजेश्वरी, बबीता कश्यप, चंद्रावती, अर्चना मिस्त्री, काजल मिस्त्री, सुलता मंडल, अर्चना घरामी, अपर्णा, कल्पना, सोनिया, कुसुमलता, आरती अरोड़ा, कंचन ,प्रीति रस्तोगी, किरण देवी, सुषमा, आशा देवी, मीरा देवी, मरियम पाल, विमला देवी, गणेश्वती, मीना देवी, मंजरी सहित सैकड़ों आशा कार्यकर्ती मौजूद रही।