पुत्रवधू से दूरी आखिर क्या है ऐसी मजबूरी कांग्रेस नेता अरशद खा लेकर चर्चाएं तेज रफ्तार से शुरू

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रुद्रपुर – (एम सलीम खान ब्यूरो) उत्तराखंड में इन दिनों निकाय चुनावों को सरगर्मियां रफ्तार पकड़ चुकी है और जिला मुख्यालय रुद्रपुर में भी निकायों को माहौल बेहद गर्म है लेकिन इन आम चुनावों में हर कोई अपने परिवार के सदस्यों को लेकर सशक्त दावेदार पेश कर रहा है, लेकिन हमारे सामने कुछ ऐसी तस्वीरें आईं हैं।

जो परिवारिक रिश्तों को तार तार करने के काफी हद तक बहुत कुछ कह रही है और इन तस्वीरों का ताल्लुक निगम के वार्ड नंबर 27 गांधी कालोनी से जुड़ा हुआ है,दर असल वार्ड नंबर 27 गांधी कालोनी से पार्षद पद को लेकर जंग छिड़ गई है और इस वार्ड को महिला आरक्षित किया दिया गया।

इससे पहले भी यह सीट महिला आरक्षित थी और यहां से कांग्रेस नेता मदन शर्मा की धर्मपत्नी श्रीमती मधु शर्मा ने कांग्रेस के टिकट से जीत दर्ज कराई थी, लेकिन इस बार मधु शर्मा के बड़ी चुनौतियां खड़ी हैं और कांग्रेस नेता अरशद खा की पुत्रवधू श्रीमती जेबा अजहर ने भी पार्षद पद के लिए कांग्रेस से टिकट मांगा है।

और जेबा अजहर के ससुर अरशद खा लंबे अर्से से कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन बीते शुक्रवार को जेबा अजहर के पति डा अजहर खान नगर कांग्रेस कमेटी के कार्यालय पहुंचे और उन्होंने अपनी पत्नी जेबा अजहर के लिए दावेदारी पेश की, वहीं इससे पहले पूर्व पार्षद मधु शर्मा भी अपनी दावेदारी पेश करने वहां पहुंची तो उनके साथ जेबा अजहर के ससुर कांग्रेस नेता अरशद खा मौजूद थे।

लेकिन जब उनके सुपुत्र डा अजहर खान ने अपनी पत्नी जेबा अजहर के दावेदारी पेश की तो तो जनाब अरशद खा नौ दो ग्यारह रहे और उन्होंने बहु के पक्ष में खड़ा भी होना जरूरी नहीं समझा, हमने इस मामले को बीते रोज एक खबर प्रकाशित की थी जो बिल्कुल सही साबित हो रही है, मसलन कांग्रेस नेता अरशद खा अपनी बहू के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं और मुस्लिम मतों का ध्रुवीकरण करने का षड्यंत्र रचा रहे हैं, आखिर अरशद खा की ऐसी कौन सी मजबूरी है जो उन्होंने अपनी ही पुत्रवधू के खिलाफ साज़िश को अंजाम दे डाला और बेटे और बहू के बीच में दीवार बन खड़े हो गए।

हालांकि हम किसी के पारिवारिक रिश्तों को लेकर टिप्पणी नहीं कर रहे लेकिन एक तस्वीर इस बात की गवाही दे रही है कि राजनीति में रिश्ते की कोई अहमियत नहीं होती है और वक्त आने पर इस राजनीतिक में अपने मे भी दर्रे पड़ना स्वाभाविक है, लेकिन अगर ऐसा ही होता रहा तो यह ओछी राजनीति बहुत से पाक रिश्तों निगल जाएंगी, हमारे देश के बुद्धिजीवी नेताओं को इस बात को अच्छी तरह समझने की जरूरत है।


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