जब रोज़ा रखकर जंग लड़े थे इस्लाम के पैगम्बर मुहम्मद साहब, हजारों की सेना पर पड़े थे भारी

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रमजान का ही वो पाक महीना था जब इस्लाम की पहली जंग हुई थी,जो जंग -ए -बदर के नाम से मशहूर है, इस जंग में पैगंबर मोहम्मद साहब और उनके साथ कुछ अनुयाई भारी तादाद में हमला करने आए दुश्मनों से मुकाबले के लिए मैदान में उतर गये थे,यह इस्लाम बचाने की लड़ाई थी, जिसमें पैगम्बर मुहम्मद साहब ने जीत हासिल की थी,इस जंग के बाद ही ईद का त्योहार मनाया गया था, रमजान के जिस रोज यह जंग हुई उस दिन 17 वा रोज़ा था,खास बात है कि जिस दिन जग हुई उस दिन पैगंबर मुहम्मद साहब और उनके साथ 313 अनुयाई रोज़े से थे, इसके बावजूद पैगंबर मुहम्मद साहब और उनके अनुयाई अल्लाह का नाम लेकर लड़े और एक हज़ारों की तादाद वाली दुश्मन की फ़ौज पर भारी पड़ गए,

पैगंबर मुहम्मद साहब ने पहली जंग इस्लाम बचाने को लड़ी,यह जंग बुराई के खिलाफ थी जो स ऊदी अरब के मदीना शहर से करीब 200 किलोमीटर दूर स्थित क्षेत्र में हुई, हालांकि जिस समय जंग हुई उस समय एक कुआं था,जिसका नाम ब्रद था, लेकिन बाद में पूरे क्षेत्र का नाम भी यही पड़ गया,

कैसे हुई इस्लाम की आखिरी जंग -ए-ब्रद की शुरुआत

यह बात 624 ई की है,उस समय इस्लाम के पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब इस्लाम का प्रचार कर रहे थे, तो काफी लोग उसकी मुखालफत कर रहे थे, उनके साथ कुछ अनुयाई भी रहते थे,यह वही अनुयाई थे जिन्होंने उनके साथ जंग लड़ी लेकिन फज़ल की बात है कि न तो वह जंग लड़ना जानते थे और ना ही उनके पास कोई हथियार था।

संवाददाता-एम सलीम खान की रिपोर्ट


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