कांग्रेस में लगातार आउट हो रहे बल्लेबाजों के लिए कौन है जिम्मेदार

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एम सलीम खान/शम्मी मेहर

लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पर संकट के बादल लगातार मंडरा रहे हैं, एक बाद एक कांग्रेस के बल्लेबाज मैदान छोड़कर भाग रहे हैं, लोकसभा चुनाव पहले शुरू हुआ सिलसिला बदस्तूर जारी है,

अब कांग्रेस के लिए ओर एक नुकसान देय खबर सामने आ रही, ऊधम सिंह नगर में कांग्रेस को एक ओर बड़ा झटका लगा है बीते लंबे समय से उधम सिंह नगर जिला पंचायत की अध्यक्षय रेनू गंगवार ने कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

वहीं उनके अलावा डा सुरेश गंगवार ने कांग्रेस को राम राम कह दिया मसलन उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया है, दोनों नेताओं ने अपने इस्तीफे कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष करन मेहरा को भेज दिए हैं। उन्होंने कांग्रेस की बैठकों और संगठन के उम्मीदवार के कार्यक्रम की सूचना न देने से और अनदेखी करने पर कांग्रेस से नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए इस्तीफा दिया है।

कांग्रेसी सूत्रों ने जिलाध्यक्ष पर मंडे लापरवाही के आरोप

एक स्थानीय कांग्रेसी नेता इसके लिए काफी हद जिला कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष को जिम्मेदार ठहराते हुए उन पर कांग्रेस के पतन का आरोप लगाया नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब से जिला कांग्रेस कमेटी की भागदौड़ जिलाध्यक्ष के हाथों में सौंपी गई है उसी दिन से एक के बाद एक कांग्रेसी कांग्रेस को छोड़ रहे, उन्होंने कुछ नाम भी गिनाए मिसाल के तौर युवा कांग्रेसी सुशील गाबा, ने जिला कांग्रेस कमेटी से नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का झंडा बुलंद किया, भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले बंगाली नेता दिलीप अधिकारी फिर से कांग्रेस छोड़कर भाजपा की शरण ली,इसी तरह से जिले में बहुत से कांग्रेसियों ने जिला कांग्रेस की कार्यकर्ता विरोध नीतियों से क्षुब्द होकर कांग्रेस को छोड़ दिया।

चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी अकेले ढो रहें जिलाध्यक्ष

वहीं कांग्रेस के एक ओर नेता का कहना है कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष अकेले चुनावी प्रचार की कामना संभले हुए, उम्मीदवार प्रकाश जोशी के जनसंपर्क कार्यमंत्रणा की कोई जानकारी किसी भी कांग्रेसी नेता के पास नहीं है, सिर्फ जिलाध्यक्ष ही जानते होंगे की प्रकाश जोशी कब और कहां चुनावी प्रचार करने आ रहे हैं।

निष्ठावान कार्यकर्ताओं की भारी कमी

कांग्रेस के पहले के चुनावी इतिहास में संगठन के पास भारी मात्रा में कार्यकर्ताओं का हुजूम होता था, चुनावी प्रचार में भारी संख्या में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित होती थी, लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं देखा जा रहा है,जिसे लेकर कांग्रेस पर संगठन के कार्यकर्ताओं द्वारा बड़े सवाल खड़े किए जा रहे हैं।


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