आखिर क्यों नहीं सुनी जा रही लुकास टीवीएस मजदूर की बात क्या है इसके पीछे वजह पढ़ें पूरी ख़बर

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रुद्रपुर – पिछले 58 दिनों से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे लुकास टीवीएस मजदूर संघ के श्रमिकों की मांगों की सूध न सरकार और न ही प्रशासन के आला अधिकारी ले रहे। जबकि आंदोलन कर रहे कड़के की ठंड में लगातार धरने पर बैठे हुए है। हाड़ गलाने वाली ठंड के बावजूद भी सरकार और प्रशासन पीड़ित मजदूरों की मांगों को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है। फैक्ट्री प्रबंधन के तानशाही रवैए से क्षुब्द यह श्रमिक न तो सरकार और नहीं प्रशासन से जुड़े मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। बल्कि श्रमिकों को दिए जाने वाले अधिकारों को लेकर इनकी लड़ाई लगातार जारी है। सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जहां एक तरफ सबको एक साथ लेकर काम करने का दावा कर रहे हैं। वहीं धामी सरकार इन श्रमिकों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों कर रही है।यह एक प्रश्न वाचक मामला है। पूर्व मुख्यमंत्री स्व नारायण दत्त तिवारी ने जिन सपने को उत्तराखंड में बड़े उद्योगों को प्रोत्साहन दिया था, उनके उस सपने को कपनी प्रबंधन जमकर पलीता लगा रहे हैं। तिवारी की रोजगार सोच नीति का जमकर माखौल उड़ाया जा रहा है। वहीं स्थानीय अधिकारी भी कंपनी प्रबंधन की जमकर जी हुजूरी करने में लगे।श्रम भवन पर पिछले 58 दिनों से थरने पर बैठे श्रमिकों की मांगों के समर्थन में न तो सत्तारुढ़ भाजपा और न विपक्षी कांग्रेस कोई रुचि दिखा रही है। बड़े बड़े दावे करने वाले दोनों दलों के नेता भी धरना स्थल पर जाने से परहेज़ कर रहे हैं। कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष सीपी शर्मा इससे पहले मजदूरों के हकों के लिए लड़ाई लड़ने में अहम भूमिका निभाते थे, लेकिन जब से उन्हें महानगर कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है उन्होंने भी श्रमिकों का हाथ छोड़ दिया है। वहीं अगर बात करें भाजपा विधायक शिव अरोरा की तो उन्होंने भी भाजपा जिलाध्यक्ष रहने के दौरान श्रमिकों की समस्याओं के निराकरण के लिए ठोस कदम उठाए थे। लेकिन सरकार ने जन प्रतिनिधि होने की बावजूद भी उनका ध्यान इस तरफ नहीं है। जबकि यह श्रमिक भी मतदान करने के उत्तराधिकारी हैं। श्रम विभाग के आला अधिकारी भी इनकी मूल भूत समस्याओं को लेकर गंभीर नहीं है। वहीं किसान नेता तेजिन्दर सिंह विर्क ने इनके हकों की लड़ाई लड़ने का पुरजोर दावा किया था। उन्होंने भी इनका साथ बीच रास्ते में छोड़ दिया। आखिर क्यों इनकी हकों की लड़ाई को लगातार अनदेखा किया जा रहा।यह एक सांवलिया प्रश्न है।

संवाददाता-एम सलीम खान की रिपोर्ट


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