रुद्रपुर – डॉल्फिन कंपनी सिडकुल पंतनगर जिला ऊधमसिंह नगर (उत्तराखंड) में भारत देश और उत्तराखंड राज्य के बुनियादी श्रम कानूनों, भारतीय संविधान, सर्वोच्च न्यायालय और उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश को लागू कराने की मांग को लेकर चार महिला मजदूरों सहित 6 मजदूरों द्वारा गाँधी पार्क रुद्रपुर में चलाया जा रहा आमरण आज दूसरे दिन भी जारी है।
अनशन में बैठी महिलाओं के स्वास्थ्य में आज गिरावत देखी गईं। इसके बावजूद भी उनके हौसले बुलंद हैं। और वो अंतिम सांस तक संघर्ष करने को तत्पर हैं। आज डॉल्फिन मजदूरों के आमरण अनशन स्थल पर काकोरी कांड के अमर शहीद अशफाक उल्ला खां जी का जन्मदिन जोशो खरोश के साथ मनाया गया। उन्हें पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी गईं । और उनसे प्रेणना लेकर अपने संघर्ष को और ज्यादा जोश – जूनून के साथ में लड़ने का संकल्प लिया गया ।
इस दौरान हुईं सभा को सम्बोधित करते हुए डॉल्फिन मजदूर संगठन की उपाध्यक्ष सुनीता ने कहा कि हमारी 4 मजदूर बहनें और 2 भाई विगत दो दिन से अन्न त्यागकर आमरण अनशन पर बैठे हैं किन्तु शासन प्रशासन के किसी भी अधिकारी और सत्ता पक्ष के नेताओं ने अनशनकारियों की अब तक कोई सुध नहीं ली। किन्तु इससे अनशन कारियों के मनोबल पर कोई भी विपरीत असर नहीं पड़ा है बल्कि वो बुलंद हैंसलों के साथ अंतिम क्षण तक लड़ने को तत्पर हैं।
भाजपा के स्थानीय विधायक शिव अरोरा जी परसों तक दावा कर रहे थे कि वो एक दो दिन में सबको काम पर रखवा देंगे और सब समस्या हल करा देंगे,वही आज सुबह हमें अपने घर बुलाकर दबाव डाल रहे थे कि अपर जिलाधिकारी महोदय द्वारा 26 सितंबर को जो समझौता थोपा जा रहा था उसे मानते हो तो लागू करवा देंगे। इससे स्पष्ट है कि उत्तराखंड सरकार द्वारा डॉल्फिन कंपनी मालिक को खुला संरक्षण दिया जा रहा है।किन्तु हम महिलाएं इससे बिल्कुल भी विचलित होने वाली नहीं हैं और अपना हक लेकर ही रहेंगी।
आमरण अनशन में बैठी कृष्णा देवी ने कहा कि वो डॉल्फिन कंपनी की स्थाई श्रमिक हैं। कंपनी में ड्यूटी करते हुए उनका हाथ टूटा। इलाज कराने पर भी हाथ पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ। डॉक्टर के फिटनेस को लेकर ज़ब वो कंपनी में ड्यूटी पर गईं तो उन्हें ड्यूटी पर नहीं लिया गया और गेटबंद कर दिया। अब इस अधेड़ उम्र में क्या करें और जीवन जीयें। कंपनी के अत्याचारी मालिक प्रिंस धवन ने ऐसे ही अत्याचार करके करीब 48 स्थाई मजदूरों की पिछले 8-9 माह से अवैध रूप से गेटबंदी कर रखी है जिनमें आधे से ज्यादा संख्या महिलाओं की है। उन्हें इस दौरान निलंबन भत्ता भी नहीं दिया जा रहा है। इसी तरह से हजारों स्थाई मजदूरों की अवैध रूप से सेवा समाप्त करके उन्हें ठेके की नौकरी के दलदल में धकेल दिया गया है। जो कि स्थाई आदेश अधिनियम 1946, संविदा श्रम अधिनियम 1970 का और ठेकेदारों के लाइसेंस का घोर उल्लंघन है। जिस कारण मुझे आज आमरण अनशन पर बैठना पड़ रहा हैं। यदि मुझ सहित किसी भी अनशन कारी को इस दौरान कुछ हुआ तो इसकी सारी जिम्मेदारी ALC -DLC रुद्रपुर, श्रमायुक्त उत्तराखंड, जिला प्रशासन और उत्तराखंड में भाजपा की डबल इंजन की सरकार की ही होगी।
महिला श्रमिक लक्ष्मी ने कहा कि विगत समय में DLC रुद्रपुर द्वारा अखबारों में यह फर्जी खबर छपवाई गईं कि जिन ठेकेदारों द्वारा अपने लाइसेंस का दुरूपयोग किया जा रहा है उन्हें नोटिस भेजे गए हैं और उनके लाइसेंस को भी निरस्त कर दिए जायेंगे । किन्तु डॉल्फिन कंपनी में ठेकेदारों द्वारा स्थाई श्रमिकों को अवैध रूप से अपने अधीन नियोजित करके अपने लाइसेंसों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है |किन्तु ALC,DLC और श्रमायुक्त उत्तराखंड द्वारा अपने आंख पर पट्टी बांधकर उक्त अवैध कृत्य को पूरी तरह से संरक्षण दिया जा रहा है |जो कि DLC द्वारा अख़बारों में ठेकेदारों के लाइसेंसों को निरस्त करने हेतु दिए गए उक्त फर्जी बयान की पोल पट्टी को स्वतः ही खोल देता है । हमें प्रतीत हो रहा है कि कुछ दिन पूर्व श्रम भवन रुद्रपुर में अधिकारियों के केबिन में संदिग्ध ब्यक्ति के साथ में नोटों की गड्डियों के बरामद होने का जो प्रकरण प्रकाश में आया था उस पर पर्दा डालने की साजिश के तहत ही DLC द्वारा अख़बारों में उपरोक्त फर्जी बयान दिया था ।
आमरण अनशन पर बैठी पिंकी गंगवार ने कहा कि हम महिलाओं को कानून के तहत न्यूनतम वेतन और बोनस हाशिल करने के लिए आमरण अनशन करना पड़ रहा है |फिर भी निर्लज्ज जिला प्रशासन और श्रम विभाग को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है |जो कि भाजपा की उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार में भ्रष्टाचार मुक्त भारत की पोल पट्टी खोलकर रख देता है ।
डॉल्फिन मजदूर संगठन के अध्यक्ष ललित कुमार ने कहा कि बोनस कानून , न्यूनतम वेतन भुगतान अधिनियम,स्थाई आदेश अधिनियम, कारखाना अधिनियम , संविदा श्रम अधिनियम, औद्योगिक विवाद अधिनियम और ठेकेदारों के लाइसेंस के खुले उल्लंघन में लिप्त डॉल्फिन कंपनी मालिक प्रिंस धवन और उनके प्रतिनिधि से वार्ता के दौरान एक सवाल शब्द भी पूछने की किसी भी अधिकारी की हिम्मत नहीं है,कंपनी मालिक के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करना तो बहुत दूर की बात है ।उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद भी श्रम अधिकारी डॉल्फिन कंपनी मालिक के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर रहे हैं । ऐसा लग रहा है कि राज्य का पूरा सिस्टम ही डॉल्फिन कंपनी मालिक के सामने आत्म समर्पण कर चुका है । हम आमरण अनशन कारियों की प्राण रक्षा करने और डॉल्फिन कम्पनी मालिक व शासन सत्ता के गठजोड़ के खिलाफ ब्यापक प्रचार चलाकर पांच छह दिन के भीतर ही आमरण अनशन स्थल पर मजदूर किसान पंचायत का पुनः आयोजन करके निर्णायक कदम उठाने की ओर बढ़ेंगे । यदि इस बीच DLC और ALC द्वारा हमें इस वर्ष का और विगत सभी वर्षो के बोनस का भुगतान और श्रमायुक्त द्वारा समस्त बकाया न्यूनतम वेतन का भुगतान दस गुणा क्षति पूर्ति के साथ नहीं कराया गया तो हम सभी मजदूर श्रम भवन में सामूहिक आमरण अनशन शुरू करने को विवश होंगे जिसकी समस्त जिम्मेदारी श्रम विभाग की ही होगी ।
आज अनशन कारी पिंकी गंगावार, कृष्णा देवी, प्रेम वती, पुष्पा देवी,देव कुमार, रामावतार के साथ नसीम जहां, फरीदा वी,मीना,सहेजमीन,नीरज,रजनी,ओमपाल,राजूलाल,राजपाल,सुनील,सहित सैकड़ों श्रमिक उपस्थित रहे । और समर्थन में श्रमिक संयुक्त मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष दलजीत सिंह,प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की रविन्दर, सामाजिक कार्यकर्ता सुब्रत कुमार विश्वास, इंटरार्क मजदूर संगठन के उदय सिंह, रामेश्वर दयाल और अजय कटियार आदि,लुकास टी वी एस यूनियन के महामंत्री मनोहर सिंह मनराल,आम आदमी पार्टी के महानगर नगर अध्यक्ष सत्यपाल सिंह ठुकराल, इंकलाबी मजदूर केंद्र के सुरेंद्र सिंह, कैलाश आदि , क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के शिवदेव सिंह आदि साथी उपस्थित रहे । और हमें पूर्ण समर्थन देने का आवश्वान दिया ।
एम सलीम खान ब्यूरो