वफ्फ सम्पत्ति इस्लाम की रुह है और उस रुह पर राज्य सरकार की दखलंदाजी नहीं हो सकती सुप्रीम कोर्ट में बोले कपिल सिब्बल

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वफ्फ सम्पत्ति इस्लाम की रुह है और उस रुह पर राज्य सरकार की दखलंदाजी नहीं हो सकती सुप्रीम कोर्ट में बोले कपिल सिब्बल

खच्च खच भरे सर्वोच्च न्यायालय में वक्फ संशोधन बिल पर सुनवाई हुई

नहीं ये संविधान की आत्मा से जुड़ा मामला है इसका फैसला सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही कर सकता है – कपिल सिब्बल

नयी दिल्ली -(एम सलीम खान संवाददाता) सर्वोच्च न्यायालय ने आज वफ्फ संशोधन बिल को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अदालत में इतनी जबरदस्त भीड़ जमा थी कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था, वफ्फ संशोधन बिल को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत में जोरदार दलील पेश उन्होंने कहा कि वफ्फ संपत्ति इस्लाम की रुह है।

और रुह पर राज्य सरकार की दखलंदाजी नहीं हो सकती, ये संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 की सीधी अवहेलना है कपिल सिब्बल अदालत में लगातार सवाल उठ रहे थे क्या सरकार धार्मिक संपत्तियों पर अधिकार जमा सकती है, क्या वफ्फ बाय यूजर जैसी धरोहर को इतिहास से मिटा दिया जाएगा, क्या जिला कलेक्टर तय करेगा कि कौन सी जमीन किसकी है बेंच ने ये भी पूछा कि क्या यह मामला हाईकोर्ट में जाना चाहिए, कपिल सिब्बल ने दलील दी कि नहीं ये संविधान की आत्मा से जुड़ा मामला ।

इसका फैसला सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही कर सकता है, माहौल गर्म था हर बात एक ऐतिहासिक दस्तावेज बन रही थी, कपिल सिब्बल ने अदालत से साफ पूछा अगर किसी जमीन पर सदियों से क़ब्रिस्तान है नमाज पढ़ी जा रही है और अब सरकार कहें कि यूज़र की बात नहीं मानी जाएगी तो इतिहास कैसे जिंदा रहेगा, अदालत ने कहा कि हम मानते हैं कि वफ्फ बाय यूजर का मुद्दा गंभीर है लेकिन ये भी जरूरी है कि हर केस को धरोहर मानने की गलती न हो, इस पर कपिल सिब्बल ने दलील दी कि मगर माई लॉर्ड सरकार ने अधिकार एक कलेक्टर को दे दिए हैं।

और अदालत की भूमिका को एक सरकारी दफ्तर से छोटा बना दिया है, ये सिर्फ धार्मिक संस्थाओं पर नहीं न्यायपालिका पर भी प्रहार है, एक और चौकन्ने वाली दलील देते हुए कपिल सिब्बल ने कहा धारा 107 को हटाकर सरकार कहती हैं कि 30 साल बाद कोई भी वफ्फ ज़मीन का कब्जा वैध हो सकता है क्या इंसाफ की। भी एक्सपायरी डेट होती है, कपिल सिब्बल ने वफ्फ बाय यूजर धारा 107 और कलेक्टर को अधिकार देने पर जोरदार आपत्ति जताई, न्यायाधीशों ने माना कि कुछ प्रावधानों पर संवैधानिक चिंता वाजिब है।

खंडपीठ ने सुझाव दिया कि क्या इन मामलों को किसी हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया जाए, अभिषेक मनु सिंघवी और वकीलों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि देश भर के मुसलमानो से जुड़ा यह कानून केवल सुप्रीम कोर्ट ही तय करें,कल 17 अप्रैल को दोबारा इस मामले की सुनवाई होगी संभवत सरकार की तरफ से जवाब या अगले वरिष्ठ वकील की दलीलें पेश होगी।


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