नयी दिल्ली – (एम सलीम खान संवाददाता) देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि युवा पीढ़ी के वकीलो को उन गरीब वादियों की मदद के लिए आगे आना चाहिए जिने महंगी फीस न देने से न्यायिक प्रक्रिया से महरूम होना पड़ता है और ऐसे युवा अधिवक्ताओं उन वादियों की सहायता के लिए स्वेच्छा से आगे आना चाहिए जो साधनों या जागरूकता की कमी की वजह से अधिवक्ताओं की सेवाएं नहीं ले पाते हैं।
अदालत ने युवा वकील की सराहना व्यक्ति गत तौर से एक पक्ष कानूनी सहायता प्रदान करने वाले एक युवा वकील की सराहना करते हुए जस्टिस बीवी नागरत्ना और सतीश चन्द्र शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि वकीलों को अपनी पेशेवर सेवाओं के बदले किसी भी तरह की अपेक्षा किए बगैर वादियों को सर्वोत्तम कानूनी सहायता उपलब्ध करनी चाहिए, खंडपीठ ने कहा कि गरीबों वादियों को स्वेच्छा से आगे बढ़ कर युवा वकील गरीबों की सहायता करे गरीब वादियों का प्रतिनिधित्व करने के लिए स्वेच्छा से आगे आने के इन प्रयासों से वकील सामूहिक तौर से समाज को यह मिसाल दे सकते हैं कि कानूनी पेशा न्याय तक पहुंच और कानून के समक्ष समानता के अधिकार के लिए खंडा है न सिर्फ सिद्धांत रूप बल्कि व्यवहार में भी, मुकदमे को सौहाद्रपूर्ण तरीके से समाप्त करने के उद्देश्य से वकीलों के प्रयास यह मिसाल देंगे कि वकील विशेष रूप से श्रम और वैवाहिक मामलों में आपसी सहमति से समझौता में बाधा नहीं बन रहे हैं।
पीठ ने सलाह दी कि वे पक्षों को उनके विवादों को समाप्त करने की दिशा में भी प्रभावी रूप से अपनी अहम भूमिका निभाने की दिशा में काम कर सकते हैं वे मध्यस्थता और सलाह जैसे सुलह वैकल्पिक विवादों तंत्रों में सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं, एक मामले का उल्लेख करते हुए खंडपीठ ने कहा कि अधिवक्ता संचार आनंद दो सालों में याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने के लिए इस अदालत के सामने 14 बार उपस्थित हुए ।
याचिकाकर्ता सीमित साधनों वाला व्यक्ति होने के कारण सेवाओं के लिए उन्हें एक पैसा भी नहीं दे पाया, अदालत ने कहा कि देश के युवाओं वकीलों को गरीबों को न्याय की दहलीज पहुंचने के लिए अपने पेशे और न्याय दिलाने की सोच रखते हुए गरीब वादियों की मदद के लिए आगे आकर एक मिसाल पेश करनी चाहिए, क्योंकि जिसके पास सासधन उपलब्ध है वो न्याय के लिए बहुत कुछ कर सकता है लेकिन गरीब वादियों को बहुत सी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।

