जमशेदपुर – टाइगर के नाम से विख्यात चप ई सोरेन की सादगी और मदृल व्यवहार का अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे लगातार छह बार विधायक चुने जाने के बाद भी आज तक सरायकेला के झीलिगगोरा में बने अपने छप्पर के घर में रहते हैं।उनका घर आज भी साधारण तरीके से बना हुआ है। सोरेन छह बार विधायकी जीते इसके बाद भी नीचे जमीन से उनका नाता नहीं टूटा।चप ई सोरेन का जन्म सरायकेला के जिलिगगोडा में साल 1956 में सेमल सोरेन और माधव सोरेन के घर हुआ। अपने तीन भाइयों और एक बहन में सोरेन सबसे पहले नंबर आते हैं। शैक्षणिक योग्यता की चर्चा की जाएं तो वे मैट्रिक पास है। उनकी शादी मानकों सोरेन के साथ हुई है और उनके चार पुत्र और तीन पुत्रियां हैं। सोरेन सुबह पांच बजे उठते हैं। जानकारी के मुताबिक चप ई सोरेन पांच बजे उठ जाते हैं।इस बीच वो योगा करते हैं।आठ बजे वे घर से बाहर निकल आया करते हैं। जिसके बाद करनडीह चौराहे पर सोरेन अपने कार्यकताओं से मुलाकात करते हैं।दिन भर क्षेत्र का दौरा कर जब अपने वापस आते हैं तो घर पर मौजूद फरियादियों की समस्याओं से अवगत होते हैं। अगर सोरेन अपने गांव में रहते हैं तो अपनी विधानसभा का नित्य दौरा कर आम जनता से विकास कार्यों पर चर्चा करते हैं। अपने गांव में बने इमली चौक पर आम जनता की शिकायतों को सुनकर उनका निराकरण किया करते हैं। जहां वे एक घंटा रुख कर झारखंड मुक्ति मोर्चा के आफिस चलें जातें हैं। और यहां भी लोगों की समस्याओं को सुनते हैं। और उनकी समस्याओं का निराकरण किया करते हैं। इसके बाद सोरेन गम्हलिया होते हुए सरायकेला मुख्यालय फहुच जातें हैं।इस दौरान वे किसी भी कार्यकर्ता या कोई भी होटल पर खाना खा लेते हैं।चप ई सोरेन का आज तक विवादों से कोई संबंध नहीं है।सत्ता पक्ष तो छोड़िए विपक्ष भी इनके खिलाफ बयान देने से बचता है। सोरेन का आज तक विवादों से कोई नाता नहीं रहा।वे बिना किसी आधार के बयानबाजी नहीं करते हैं।जब भी उन्हें लोग मिलते हैं तो वह मुस्कराते हुए उनसे मुलाकात करते हैं।चप ई सोरेन आज झारखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने में सफल हो गए हैं।
संवाददाता-एम सलीम खान की रिपोर्ट