हम गुमराह थे, हमें क्या फर्क पड़ता है,CAA से शाहीनबाग के लोगों खास बातचीत

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वरिष्ठ संवाददाता शबाना आजमी की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

नई दिल्ली – जुमेरात की दोपहर करीब 2.25 का टाइम था,धूप की किरणों की चमक धीमी पड़ रही थी, पथरीली राहों में खामोश शाहीना बाग, रमज़ान के मुक़द्दस में ज़ोहर की नमाज़ पढ़ने जाते और लौटते रोजदार, पुलिस का सख्त पहरा, अपनी अपनी रोज की तैयारियों में व्यस्त लोग,

नागरिक संशोधन कानून सीएए के नाम पर तैनात पुलिस सुरक्षा बल के कर्मी सड़कों पर न कोई चहल-पहल थी,सीएए के विरोध में करीबन चार साल पहले 4 महीने तक आंदोलनरत रहे शाहीना बाग में बृहस्पतिवार को यही नजारा देखने को मिला,

इस कानून का विरोध करने वाले लोगों की सोच का बदलता मंजर देखने को मिला, धरना प्रदर्शन करनी वाली महिलाएं पुरुषों के मन में पैदा हुए आंशका दूर होती दिखाई दी, साल 2019 में 15 दिसंबर को संसद में सीएए के पास होने पर शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था, महिलाएं पुरुष सड़कों पर इसके विरोध में उतर पड़े थे,खास तौर पर महिलाओं का धरना प्रदर्शन चार महीने तक चला था,

अब धरने प्रदर्शन की जरूरत नहीं -शबाना

कोविड काल के दौरान धारा 144 लागू होने के बाद दिल्ली से पुलिस ने धरना समाप्त करा दिया था,अब सीएए लागूं हो गया है, लेकिन यहां माहौल बिल्कुल अलग है, कपड़े की दुकान चलाने वाले हनीफ से इस कानून को लागू करने के बारे में बात करनी शुरू ही की थी, इस दौरान सीएए के विरोध में अहम भूमिका निभाने वाली दुकान पर खड़ी शबाना तुरंत बीच में बोल पड़ी, उसने तपाक से जवाब दिया कि अब और धरना प्रदर्शन करने की जरूरत नहीं उ, मुसलमानों को इस कानून से कोई दिक्कत नहीं है,हनीफ ने भी उसकी बात का समर्थन करते हुए गर्दन हिला दी,

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राजनितिक दल की मंशा है हम धरना प्रदर्शन करे

शबाना ने कहा कि राजनीतिक हथकंडा है, राजनीतिक दलों की मंशा है कि हम लोग फिर एक बार इस मामले को लेकर धरना प्रदर्शन करें और वे अपने हिसाब से इसका फायदा उठाएं,हम यहां के नागरिक हैं और हमेशा रहेंगे, कोई हमें यहां से भगा नहीं सकता है,

पूर्व में किए गए धरना प्रदर्शन पर के एक सवाल के जवाब में शबाना ने कहा तब लोगों ने हमें बताया था कि सीएए के जरिए मुसलमानों को देश से निकालने की कोशिश की जा रही है, इससे के डर से हमारी घरों की महिलाओं ने धरना प्रदर्शन में शामिल होने का फैसला किया था, अब हम समझ चुकें हैं ऐसा कुछ भी नहीं है,

गुमराह करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी गई – रुखसार

सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती रुखसार का कहना है कि कुछ लोगों ने खास कर राजनीति संगठनों ने सीएए को लेकर मुस्लिम समुदाय को इतनी दहशत में डाल दिया था कि उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे, इसके बाद महिलाओं ने भी सीएए के विरोध में चल रहे प्रोटेस्ट में छलांग लगा दी, लेकिन उस दौरान दिल्ली पुलिस की कुछ आपत्ति जनक हरकतें भी गुस्से की वजह बन गई, जबरन टैन्ट उखड़ा गया आदि आदि जैसे व्यवहार से लोगों में और अधिक गुस्सा पैदा हो गया, लेकिन सीएए लागूं होने से हमें न कोई फायदा है और न कोई नुक्सान,

फल बेचने वाले सलीम अली ने कहा कि हमें तो केवल रोजगार शिक्षा स्वास्थ्य पानी बिजली के दिवा दूसरे मुद्दे पर बात नहीं करनी है जब उनसे योजनाओं के बारे में जानकारी ली तो उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना और पीएम आवास योजना बेहद बेहतर है,

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हम धरना प्रदर्शन नहीं करना चाहते हैं

मुस्तुफबाद के रहने वाले शमीम अहमद का कहना है कि अब हम सीएए को लेकर धरना प्रदर्शन नहीं करना चाहते हैं,बस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से इतनी दरख्वास्त करता हूं कि ये हिंदू मुस्लिम, मंदिर मस्जिद,ऊच नीच जात पात जैसे मुद्दों को लेकर भी सख्त कानून बनाएं जिससे देश में फिर से एक कौमी एकता, भाईचारा कायम हो, उन्होंने कहा कि अब हिंदू मुस्लिम की राजनीति बहुत हो गई,अब देश में फिर से कौमी एकता को बनाए रखने पर जोर दिया जाए,

सीएए से मुसलमानों को न फायदा न नुकसान – नूर आलम

खतीजा बेगम कहतीं हैं कि देश में पहले से ही कितनी बेरोजगारी है, कुछ लोग अपने बच्चों का पेट मुश्किल से भर पाते हैं, दूसरे देश के लोगों को नागरिकता देन से पहले अपने देश के नागरिकों को रोजगार और बेहतर शिक्षा दीक्षा मुहैया करानी चाहिए थी,

मैं और अब्बा और उनके अब्बा जन्म से हिंदुस्तानी हैं कोई कैसे निकाल सकता है – शकूर अनवर

दिल्ली बजार में बाइक मिस्त्री शकूर अनवर का कहना है कि उन्होंने जब आंखें खोली तो खुद को भारत की सर जमीन पर पाया बचपन जवानी और अब बूढ़ापा सब दिल्ली की जमीन पर गुजर गया, कुछ दिनों बाद मौत भी आ जाएगी,जिये यही मरेंगे भी यही पर किसी के बाप की हिम्मत नहीं हैं जो हमें हिंदुस्तान छोड़ कर जाने को कहें,सीएए लागूं हो या पीएए हम तो हिन्दुस्तानी है और रहेंगे।


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