समान नागरिक संहिता में इस अधिनियम को लेकर भड़के अधिवक्ता और दस्तावेज लेखक कार्य बहिष्कार कर धरने पर बैठे

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रुद्रपुर – (एम सलीम खान संवाददाता) उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता यूसीसी लागू के बाद से ही इस कानून में बनाए गए अधिनियमों को विरोध शुरू हो गया है, विभिन्न धर्मों से जुड़े लोगों इस कानून में बनाए गए अधिनियमों को जहां एक तरफ उत्तराखंड हाईकोर्ट की शरण ले रहे हैं तो वहीं दूसरी समान नागरिक संहिता यूसीसी के कुछ अधिनियमों को अब अधिवक्ताओं ने मोर्चा खोल दिया।

और यूसीसी के एक अधिनियम को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया,दर असल उत्तराखंड सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता नियमवली 2025 यूसीसी लागू कर प्रदेश के हजारों अधिवक्ताओं और दस्तावेज लेखकों को वसीयतनामा और विवाह पंजीकरण के कार्यों से पूरी तरह अलग कर दिया है और सरकार पेपर लेस के नाम पर रजिस्ट्री संबंधित कार्यों से भी जल्द ही इन्हें अलग करने कि तैयारी कर रही है।

जिसे लेकर अधिवक्ताओं और दस्तावेज लेखकों सहित अन्य अधिवक्ताओं ने इसके खिलाफ अपने गुस्से का इजहार कर रहे हैं और इसे विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है, अधिवक्ताओं और दस्तावेज लेखकों ने इसके विरुद्ध आज से कार्य बहिष्कार कर इस अधिनियम को वापस लेने की मांग को उठाते हुए धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है, पुरानी तहसील परिसर में इसके खिलाफ अधिवक्ता और दस्तावेज लेखकों ने तीन दिवसीय धरने प्रदर्शन शुरुआत कर दी।

और जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया के जरिए से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन भेजा, वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक कुमार सागर ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि अधिवक्ताओं और दस्तावेज लेखकों को आजादी से पहले भी पूर्व से अधिवक्ता और दस्तावेज लेखक बयनामा और वसीयत का काम कर लंबी पीढ़ियों से यह काम करते चले आ रहे हैं यह कार्य बिना विधिक सहायता के कोई भी व्यक्ति स्वयं नहीं कर सकता है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा समान नागरिक संहिता यूसीसी लागू होने के बाद से वसीयत पंजीकरण के कार्य से अधिवक्ताओं और दस्तावेज लेखकों को बाहर कर दिया है और अधिकारियों और सी एस सी सेन्टर का पोर्टल बना दिया गया है और अधिवक्ताओं लेखकों का पोर्टल नहीं बनाया है जिससे राज्य के हजारों वकीलों और दस्तावेज लेखकों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है, उन्होंने बताया कि उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता यूसीसी लागू करके रजिस्ट्री कार्यालयों से महत्वपूर्ण कार्य छीनकर विवाह पंजीकरण और वसीयतों का पंजीकरण आन लाइन कर देने से इस फैसले का सबसे बड़ा नुक्सान अधिवक्ताओं को है।

अब पेपर लेस बयनामा लागू करने के फैसले से उनकी परेशानियां और अधिक बढ़ जाएगी और उत्तराखंड में हजारों अधिवक्ता और दस्तावेज लेखक व स्टाम्प विक्रेता बेरोजगार हो जाएंगे, इस व्यवस्था से सबसे ज्यादा प्रभावित वे आम नागरिक होंगे जो कम्प्यूटर और आनलाइन प्रक्रियाओं से परिचित नहीं हैं, ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में हजारों लोग ऐसे हैं जिन्हें डिजिटल सिस्टम की समझ नहीं है, सर्किल रेट की गणना करना स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क का सही आंकलन करना उनके लिए मुश्किल होगा अब तक वकील दस्तावेज स्टाम्प विक्रेता उनकी मदद करते थे लेकिन डिजिटल सिस्टम लागू होने के बाद उन्हें या तो बिचौलियों पर निर्भर रहना होगा या फिर सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने होंगे।

स्टाम्प विक्रेताओं की स्थिति दयनीय हो जाएगी साथ ही हजारों वकीलों को रोजगार से हाथ धोने पड़ेंगे और वकील और दस्तावेज लेखकों के सामने रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो जाएगा इसका विरोध कर रहे हजारों वकील और दस्तावेज लेखकों सहित स्टाम्प विक्रेताओं ने सरकार से इस योजना को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए चेतावनी दी कि तब तक सी एस सी सेन्टर से हटाकर वसीयत और विवाह पंजीकरण के कार्यों को वापस नहीं किया जाता है तब तक हड़ताल जारी रहेगी और पूरे उत्तराखंड में उग्र आंदोलन किया जाएगा।

इस दौरान दस्तावेज लेखक लक्ष्मी नारायण सक्सेना एडवोकेट राजीव सक्सेना एडवोकेट निरंजन पंत दस्तावेज लेखक रणजीत सिंह, राजीव सक्सेना रवि शरण श्रीवास्तव, चंचल धपोला एडवोकेट श्याम पाल मेहरा, एडवोकेट अशोक कुमार सागर प्रमोद मित्तल मनीष मित्तल एहसान दानिश, विरेन्द्र कुशवाहा विरेन्द्र कुमार गुप्ता, दलजीत सिंह, सुनील कुमार, जगदीश सागर, गुरदीप सिंह, दिवाकर पांडे,डीपल भंडारी रोहित गडाकोटी भजन बत्रा, प्रियांश सक्सेना जसपाल सिंह, राजेश विश्वास, जीवन चन्द्र जोशी, अशोक चन्द्र, राजेश विश्वास, नरेंद्र सिंह, दीपक कुमार,उदय राठौड़,शावेस सोनू अबरार अली कपिल छाबड़ा,सगीर अहमद सहित अन्य लोग मौजूद थे।


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