
हल्द्वानी – जिलाधिकारी वंदना ने वनाग्नि की रोकथाम के लिए विभागीय समन्वय एवं जनसहभागिता को महत्वपूर्ण बताते हुए सख्त निर्देश जारी किए। कैंप कार्यालय हल्द्वानी में आयोजित बैठक में वन, आपदा, पेयजल, लोक निर्माण, अग्निशमन एवं ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारियों को संवेदनशील क्षेत्रों में अग्रिम तैयारी सुनिश्चित करने, आग लगाने वालों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने और जन जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए।
वनाग्नि की घटनाओं की सूचना मिलने पर रिस्पांस टाइम न्यूनतम रखें तथा रोकथाम के लिए विभिन्न विभागों की टीमें मिलकर काम करें। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि वनों में आग लगाने वालों पर कड़ी नजर रखते हुए उनके विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही विगत वर्षों में अधिक अग्नि प्रभावित क्षेत्रों के संवेदनशील गांवों को चिन्हित कर वहां के स्थानीय निवासियों, मंगल दलों, स्वयं सहायता समूहों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जाए।
इसके लिए राजस्व निरीक्षक, पटवारी, ग्राम प्रहरी, ग्राम प्रधान एवं वन पंचायत सरपंचों द्वारा नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जाएं। वन विभाग को तत्काल आवश्यक उपकरण क्रय करने, वॉचरों को प्रशिक्षित करने एवं उनका बीमा करने के निर्देश दिए। साथ ही आपदा प्रबंधन अधिकारी को उन क्षेत्रों के लिए वाहन अधिग्रहण की सूची तैयार कर परिवहन विभाग को उपलब्ध कराने को कहा गया, जहां वनाग्नि की संभावना अधिक है, और विभाग को अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता है।
लोक निर्माण विभाग को मुक्तेश्वर, पंगोट, कैचीधाम, रामगढ़, भीमताल व धारी जैसे पर्यटक स्थलों तथा स्टेट हाईवे, एमडीआर/ओडीआर सड़कों के किनारे सड़कों के दोनों ओर 3-3 मीटर की गैंग लगाकर सफाई अभियान चलाने के निर्देश दिए गए, जो प्रत्येक सप्ताह सुनिश्चित किया जाएगा। संबंधित उपजिलाधिकारी इन कार्यों की निगरानी करेंगे। सभी विभागों को अपनी परिसंपत्तियों के 500 मीटर के दायरे में सफाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए। पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित पेट्रोल पंपों व गैस गोदामों के आसपास पीपापुल की सफाई की निगरानी जिला पूर्ति अधिकारी द्वारा की जाएगी।
जल संस्थान को निर्देश दिए गए कि जहां भी पाइप लाइन जंगलों में गई है, वहां नल की व्यवस्था की जाए, ताकि आपातकालीन स्थिति में जलापूर्ति संभव हो सके। पर्वतीय क्षेत्रों में वनों के निकट स्थित निजी होटलों एवं रिसोर्टों को भी अपनी सम्पत्ति के 500 मीटर के दायरे में साफ-सफाई सुनिश्चित करने तथा सम्बन्धित उप जिलाधिकारियों को निजी संस्थाओं को नोटिस जारी करने के निर्देश दिये गये हैं।
मुख्य चिकित्साधिकारी को अस्पतालों में आवश्यक दवाओं की समय से आपूर्ति तथा एम्बुलेंस की तैनाती के लिए अलर्ट रहने के निर्देश दिये गये। उप जिलाधिकारियों को संवेदनशील क्षेत्रों में हेलीपैड चिन्हित करने के लिए पूर्व व्यवस्था करने को कहा गया। पर्यावरण संरक्षण को साझी जिम्मेदारी बताते हुए जिलाधिकारी ने विद्यालयों में जन जागरूकता अभियान चलाने तथा आम जनता को वनाग्नि से होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करने के निर्देश दिये।
उन्होंने वन विभाग को उपकरणों को क्रियाशील रखने तथा सूचनाओं के त्वरित आदान-प्रदान के लिए सुदृढ़ संचार व्यवस्था स्थापित करने के निर्देश दिये। जिलाधिकारी ने बताया कि सरकार वन विभाग के माध्यम से ₹10 प्रति किलोग्राम की दर से पीरूल खरीद रही है। अत: जिन क्षेत्रों में पीरूल अधिक मात्रा में उपलब्ध है, वहां पर संग्रहण केन्द्र स्थापित किये जायें तथा स्थानीय लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जाये। इससे न केवल उनकी आजीविका बढ़ेगी बल्कि वनाग्नि की घटनाओं पर भी रोक लगेगी। इसके लिए जिला विकास अधिकारी को महिला समूहों को पिरूल संग्रहण के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए।
बैठक में मुख्य वित्त अधिकारी एनएस कंवर, एरीज वैज्ञानिक सौरभ, प्रभागीय वनाधिकारी सीएस जोशी, प्रकाश आर्य, कुंदन कुमार, डी नायक, मुख्य चिकित्साधिकारी डा. एचसी पंत, मुख्य शिक्षाधिकारी गोविंद जायसवाल, अधिशासी अभियंता लोनिवि रत्नेश सक्सेना, जिला विकास अधिकारी गोपाल गिरी गोस्वामी सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।

