देहरादून – (एम सलीम खान ब्यूरो) उत्तराखंड में सम्मान नागरिक संहिता लागू होने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सदन में नेता प्रतिपक्ष यश आर्या ने सरकार को घेरते हुए बड़ी बाते कही है, यशपाल आर्या ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यूसीसी लागू होने के पीछे भाजपा सरकार की मंशा को जो कुछ कहा है उससे राजनीतिक खेमों में हलचल मच गई है , नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या ने कहा कि यूसीसी लागू करने के पीछे सरकार का सभी धर्मों को संस्कारों में सुधारात्मक क़दम उठाना नहीं है बल्कि इसके पीछे राजनीतिक फायदा उठाने का है उत्तराखंड की जनता को इस समय अविलंब कठोर भू कानून एवं मूल निवास का स्थाई हल चाहिए था पर सरकार ने इस महत्वपूर्ण विषय से ध्यान हटाने के लिए समान नागरिक संहिता थोप दी है,देश के किसी भी धर्म में लिव इन रिलेशन को मान्यता नहीं दी जाती है फिर उत्तराखंड की सनातन बाहुल्य जनसंख्या में तो लिव इन रिलेशन बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है यूसीसी में लिव इन रिलेशन को मान्यता देकर धामी सरकार ने देवभूमि उत्तराखंड की धार्मिक और सांस्कृतिक परम्पराओं का घनघोर अपमान किया है अन्य राज्यों के निवासियों के एक वर्ष लिव इन रिलेशन में रहने पर उन्हें कानूनी रूप से स्थाई निवासी की भांति स्वीकार करते के प्राविधान से उत्तराखंड में बहुत बड़े डेमोग्राफिक परिवर्तन की साज़िश है, समान नागरिक संहिता के कानून लागू होने के बाद देवभूमि उत्तराखंड में लव इन रिलेशन को बढ़ावा मिलेगा उन्होंने बताया कि हाल ही में लागू समान नागरिक संहिता के भाग 3 में धारा 378 से 389 तक लिव इन रिलेशन संबंधी से जन्मे बच्चों को कानूनी मान्यता दे दी गई है वहीं ऐसे संबंध से जन्मे बच्चों को भी वैध मान लिया गया है तथा पुरुष साथी द्वारा महिला को छोड़ने पर महिला को भरण पोषण का अधिकार दे दिया गया है इन प्राविधानों के लागू होते ही उत्तराखंड में बड़े परिवर्तन आएंगे, यूसीसी में सभी धर्मों के लिए तलाक या विवाह विच्छेद को तो कठिन कर दिया गया है लेकिन लिव इन रिलेशन में रहने वाला व्यक्ति कभी भी धारा 384 के अंतर्गत रजिस्ट्रार के समक्ष कथन प्रस्तुत करके संबंध को समाप्त कर सकता है कानून के इस दोहरेपन के कारण उत्तराखंड में युगल शादी के स्थान पर लिव इन रिलेशन में रहना पसंद करेंगे लिव इन रिलेशन संबंध को प्रारंभ करना और समाप्त करना दोनों आसान है, इससे उत्तराखंड में विवाह संस्था को नुक्सान पहुंचेगा और ऐसे संबंधों से जन्मे बच्चों और उनकी उत्तराखंड मूल माताओं का भविष्य भी ख़तरे में रहेगा, विधेयक को पेश करते समय सदन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड में यूसीसी महिलाओं को लगिग समानता देने के उद्देश्य से लाया गया है लेकिन प्रदेश की अनूसूचित जनजाति की जनसंख्या को इस कानून के दायरे से बाहर रखा है क्या अनूसूचित जनजाति की 4 प्रतिशत जनसंख्या से संबंध रखने वाली महिलाएं हकदार नहीं थी,समान नागरिक संहिता के माध्यम से बीजेपी विपक्ष को अल्पसंख्यक समुदाय के रूढिपरस्त नेतृत्व के साथ दिखाना थी जो संभव नहीं हुआ, भाजपा को अंदेशा था कि अल्पसंख्यक समुदाय इसका विरोध करेंगे जिसका राजनीतिक फायदा भाजपा उठाएगी पर ऐसा नहीं हुआ अल्पसंख्यक समुदाय के बजाय उत्तराखंड की सनातनी जनसंख्या लिव इन रिलेशन जैसे प्रावधान को लेकर खुलकर विरोध कर रही है।
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- January 10, 2025
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