धामी सरकार के वो पांच बड़े फैसले जिन पर सीएम धामी में झलकती है सीएम योगी की तस्वीर

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उत्तराखंड – यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने से बहुत से मोर्चो पर उत्तर प्रदेश सरकार के तेवर सख्त नजर आए। प्रदेश में कानून व्यवस्था से करप्शन के खिलाफ युद्ध स्तर पर अभियान तक प्रशासनिक स्तर पर गति लाने की भरसक कोशिशें की गई। सड़कों से लेकर राज्य की प्राचीन सम्पत्ति को दुरूस्त किया गया तो वहीं भू-माफियों और अव्वल दर्जे के अपराधियों पर अंकुश लगाने का काम भी बखूबी निभाया गया और उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचता गया। सांप्रदायिक मामलों में ज्यादा तरजीह दी गई। विशेष कर जबरन धर्मांतरण से जुड़े हुए मामलों पर सख्त एक्शन लेने जैसें महत्वपूर्ण फैसले को अमली जामा पहनाया गया। योगी आदित्यनाथ सरकार अपनी पूर्व की सरकारों से अलग होने का दावा करती रही है। बीजेपी शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने योगी सरकार के बुलडोजर के एक्शन को भी अपने राज्यों में हूबहू उतरने की कोशिश की। हमारे पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की तर्ज पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस लिस्ट में शामिल हैं। उनके कुछ बेहद महत्वपूर्ण फैसले उनकी लोकप्रियता का जरिया बनें गये है। जिसके बाद आम जनमानस उनमें कहीं न कहीं योगी आदित्यनाथ की छवि को देख रहा है।लोग सीएम धामी में योगी आदित्यनाथ की झलक देखने लगें हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पांच ऐसे बड़े फैसले पर अपनी मोहर लगा दी जिसके बाद उनकी हर तरफ प्रशंसा हो गई। आईए आपको बताते हैं उन पांच बड़े फैसलों के बारे में।

1- समान नागरिक संहिता-

यूपी में समान नागरिक को यूं तो कोई कवायद शुरू नहीं हुई है लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार यूसीसी को विधानसभा में पेश करने की तैयारी कर रही।आज यानी मंगलवार को उत्तराखंड विधानसभा में इसे प्रस्ताव के रूप में शामिल किया जाएगा। अगर ये प्रस्ताव यहां पास हो जाता है तो उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य हो जाएगा ‌। सूत्रों की मानें तो इस कानून के आने के बाद से सीएम धामी की छवि भी हिंदुत्ववादी नेता जैसी हो जाएगी। जबकि उनके समकक्ष योगी आदित्यनाथ की पहले से ही ऐसी छवि बनी हुई है।

2- धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून –

वर्ष 2020 में यूपी सरकार जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून लेकर आई थी। इसके तहत दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को दस साल की जेल हो सकती है। इसके अलावा 15 से 50 हजार रुपए तक अर्थ दंड का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। इसके करीब दो साल बाद उत्तराखंड की धामी सरकार ने विधानसभा में धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक पेश किया।इसे सदन से पारित कर राज्यपाल की भी स्वीकृति भी मिल गई।अब उत्तराखंड में भी जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कानून हैं।

3- लैड जिहाद के सख्त कदम उठाए –

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने भू-माफियों के विरुद्ध अभियान चला रखा है। सीएम बनते ही योगी आदित्यनाथ ने कई बार सार्वजानिक मंचों से भू-माफियाओं के खिलाफ ज़ीरो टालरेस की बात कही है। उत्तराखंड की धामी सरकार ने भी राज्य में अवैध दरगाहों के विरुद्ध बड़ी कारवाई की है।इसे लैड जिहाद बताते हुए सीएम धामी ने कहा कि प्रदेश में 5000 हजार एकड़ जमीन से इन्हें हटाया गया है। अतिक्रमण की सबसे ज्यादा संख्या नैनीताल जनपद में है।

4- नक़ल विरोधी कानून

यूपी की योगी सरकार ने पिछले साल नकल के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए फैसला लिया था कि इसके खिलाफ 10वी और 12वी की परीक्षा के दौरान नकल करते पकड़े जाने पर एन एस ए लगाने का आदेश जारी किया गया था। इसके साथ ही नकल करने वाले और इसमें मदद करने वाले शिक्षक या अन्य के शामिल होने पर उसकी संपत्ति भी जब्त कर ली जाएगी। इसका अनुसरण करते हुए धामी सरकार ने भी उत्तराखंड में देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून पारित कर दिया।इस कानून के तहत काफी कड़े प्रावधान किए गए हैं। नक़ल माफिया पर अंकुश लगाने के लिए दस करोड़ रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ साथ आजीवन करावास या दस साल की जेल की सजा का भी प्रावधान किया गया है। इसके अलावा नकल माफिया की सम्पत्ति को कुर्क भी किया जाएगा। पेपर लीक करने वाले छात्रों पर भी कड़े कदम उठाए गए।

5- उत्तर प्रदेश में फैले करप्शन को लेकर भी सीएम योगी ने सख्त कदम उठाए। वहीं भ्रष्टाचार मुक्त उत्तर प्रदेश बनने के लिए उन्होंने कई एजंसियों को इसके लिए सतर्कता बरतने के लिए कड़े निर्देश दिए। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की दिशा में गंभीरता से सख्त कदम उठाते हुए। सतर्कता अधिष्ठान का गठन कर उत्तराखंड के हर जनपद में शिकायत दर्ज कराने के जोर-शोर से प्रचार किया। जिसके बाद रिश्वत खोर कई बड़े सरकारी अधिकारी को सतर्कता अधिष्ठान के आला अधिकारियों ने उन्हें रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ कर अंजाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।

 

संवाददाता-एम सलीम खान की रिपोर्ट


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